राजकीय नेताओं सुनलो
कुछ तो गडबड है,
करनी चाहिए देश की सेवा
देश ही लुटते हो
कुछ तो गडबड है
भाई कुछ तो गडबड है
काले कोटवालों तुम भी
हद कर देते हो,
मुजरिम छोड देते हो
मासूमो को सजा देते हो
कुछ तो गडबड है
भाई कुछ तो गडबड है
काम पुलिस का होता है
जनता की रक्षा करे,
परंतु वहाँ भी सत्ता और
पैसे का जोर ही चले
कुछ तो गडबड है
भाई कुछ तो गडबड है
जान बचाना डाॅक्टर्स का तो
परमकर्तव्य है,
पर पैसा हो गया इतना बडा
की जान अभी सस्ती है
कुछ तो गडबड है
भाई कुछ तो गडबड है
सच्ची पत्रकारिता भी अब
दम तोड रही है,
पैसे लेकर सच को दबाकर
झूठ बेच रही है
कुछ तो गडबड है
भाई कुछ तो गडबड है
जनता हो गई दिवानी
राजनेताओं के गुण गाते,
जो है उनके सेवक उन्हे
भगवान मान रही है
कुछ तो गडबड है
भाई कुछ तो गडबड है,
कुछ तो गडबड है
भाई कुछ तो गडबड है
✒ K. Satish